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गोभी की क्यारी

अविनाश अभी मीटिंग से फ्री हुआ ही था कि अर्दली ने कहा कि आपसे कोई मिलना चाहते हैं । अविनाश ने कहा कि उसे अंदर भेज दें । 
करीब साठ साल की उम्र का एक व्यक्ति अंदर आया । अविनाश ने उसे बैठने के लिए कहा और पूछा कि क्या समस्या है ? 

उस व्यक्ति ने अपना नाम धीरज मेहरा बताया और लिखित में एक शिकायत देकर कहने लगा "इंस्पेक्टर साहब , मेरा बेटा अंकुर कल शाम से लापता है । हमने सब जगह उसकी तलाश करवा ली मगर कहीं पर नहीं मिला । अगर आप उसे ढूंढ देंगे तो बड़ी मेहरबानी होगी । उसकी मां , बीवी और बच्चों का रो रोकर बुरा हाल हो गया है । मैं भी कब तक समझाता उनको । समझा समझा कर थक गया तो यहां आ गया रिपोर्ट लिखवाने " । 
"हूं । घर में किसी से कोई लड़ाई झगड़ा हुआ था क्या ? आई मीन , आप लोगों , उसकी बीवी या बच्चों से " ? 
"नहीं साहब , वह तो बहुत शांत स्वभाव का था । लड़ना झगड़ना उसका स्वभाव नहीं था । हम माता पिता का बहुत आदर सम्मान करता था वह । उसकी बीवी भी उससे बहुत खुश हैं । आज तक कभी झगड़ा नहीं हुआ उन दोनों में । और बच्चों पर तो जान छिड़कता था वह " 

"क्या उसकी किसी से कोई दुश्मनी वगैरह थी " ? 
"नहीं साहब , मेरी जानकारी में नहीं है " 
"काम क्या करता था अंकुर" ? 
"साहब हमारा इंजीनियरिंग कॉलेज है । वह उसका मालिक है । उस कॉलेज में करीब दो हजार बच्चे पढ़ते हैं । अच्छा पढ़ा लिखा इंजीनियर था । नौकरी छोड़कर कॉलेज खोल लिया था और थोड़े दिनों में ही इतनी तरक्की कर ली थी कॉलेज ने । आज पूरे राज्य में नंबर एक पर है हमारा कॉलेज " 
"कोई दूसरे कॉलेज वालों से तो कोई बिजनेस राइवलरी नहीं थी उसकी " ? 
"जहां तक मेरी जानकारी है , ऐसा कुछ नहीं है" 

"हूं । मामला काफी पेचीदा लग रहा है । ठीक है । हम एफआईआर दर्ज कर लेते हैं और तलाश शुरू कर देते हैं । आपके पास जो भी सूचनाएं आयें , तुरंत हमें शेयर करना " । उसने अपना नंबर देते हुए और धीरज का नंबर लेते हुए कहा ।
धीरज अपने घर आ गए और अविनाश ने अपनी जांच शुरू कर दी । 

जांच कहां से शुरू करें यह समझ नहीं आ रहा था । उसने थाने के साइबर एक्सपर्ट से अंकुर के मोबाइल की लोकेशन मांगी । उसकी लोकेशन दूसरे राज्य में आ रही थी । उसने एक टीम वहां भेज दी । उस टीम ने लोकेशन ट्रेस करते हुए एक कच्ची बस्ती में एक लड़के को पकड़ लिया  जिसके पास वह मोबाइल था । 

उस लड़के ने बताया कि वह मोबाइल तो कचरे के ढेर में पड़ा हुआ था । जब वह कचरा बीन रहा था तब उसे यह मोबाइल मिल गया । 

अविनाश सोच में पड़ गया। मोबाइल कचरे में कैसे पहुंचा ? और वह भी दूसरे राज्य में । क्या अंकुर का अपहरण किया गया था ? लेकिन फिरौती के लिए तो किसी ने कॉल नहीं किया । फिर क्या कोई रंजिश की वजह से अंकुर को वहां ले जाया गया था ? और अगर वहां ले जाया गया था तो फिर अंकुर कहां है ? 

पंद्रह दिन हो गए लेकिन कोई सुराग हाथ नहीं लगा। अंकुर के घरवाले रोज परेशान कर रहे थे । अधिकारी भी रोज रिपोर्ट ले रहे थे । अखबारों में भी पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लगाए जा रहे थे । अविनाश सोच में पड़ गया । 

उसने उस मोबाइल की कॉल डिटेल खंगाली । एक नंबर पर अंकुर की काफी बात होती थी । उस नंबर को ट्रैस किया गया । वह नंबर अंजलि का था जो अंकुर के ऑफिस में काम करती थी लेकिन पिछले दो तीन महीने पहले उसने त्याग  पत्र दे दिया था। 

अविनाश ने उससे पूछताछ की तो उसने बताया कि वह पहले वहां काम करती थी लेकिन शादी के बाद घर का काम होने के कारण उसने वह नौकरी छोड़ दी। अंकुर से जो भी बात होती थी वह ऑफिस के सिलसिले में ही होती थी । 

अविनाश को अभी भी कोई सुराग हाथ नहीं लगा । एक दिन वह अंकुर के ऑफिस गया । सामान्य पूछताछ में जाहिर हुआ कि पहले अंकुर और अंजलि में कुछ पक रहा था । अविनाश ने अंकुर की बीवी से इस बारे में बात की तो उसने इस बारे में बिल्कुल अनभिज्ञता जाहिर की । मामला बड़ा पेचीदा हो गया था । अंकुर लापता है । हो सकता है जीवित हो , हो सकता है जीवित नहीं हो । कैसे ढूंढें ? 

समय गुजर रहा था लेकिन अंकुर की कोई खबर नहीं आई और ना ही कोई सुराग हाथ लगा । अविनाश भी दूसरे मामलों में उलझ गया। लग रहा था कि अंकुर प्रकरण में "अदम वकू और अदम सबूत" में केस में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल कर दी जाएगी । 

एक दिन अविनाश थाने में अपना काम कर रहा था कि इतने में दो पुलिस वाले एक आदमी को पकड़कर ले आए । थाने में उसकी पिटाई करने लगे तो वह आदमी जोर जोर से चीखने लगा। इससे अविनाश का ध्यान उस पर गया । अविनाश ने पुलिस वालों को बुलाकर माजरा पूछा तो उन्होंने कहा कि वह एक नामी चोर है और इसको चोरी करते लोगों ने पकड़ा था । 

अविनाश ने उससे कड़े शब्दों में पूछताछ की तो उसने कुछ चोरियों के बारे में बता दिया। अविनाश ने उन लोगों को बुलवा लिया । सबने कहा कि कुछ दिन पहले चोरी हुई थी। कुछ ने तो रिपोर्ट लिखा दी थी और कुछ ने नहीं लिखवाई थी । एक नाम था महेश सिंह , उसने भी रिपोर्ट नहीं लिखवाई थी । अविनाश उस चोर को लेकर मौका देखने के लिए महेश सिंह के घर गया । 

पहले तो महेश सिंह ने जांच कराने से इंकार कर दिया और कहा "हां, मेरे घर में चोरी हुई थी मगर कोई बड़ी नहीं थी । छोटी मोटी चोरी थी इसलिए रिपोर्ट तक नहीं लिखवाई थी । वह पुलिस और कोर्ट कचहरी के चक्कर नहीं काटना चाहता है इसलिए वह कोई कार्रवाई नहीं चाहता है । 

अविनाश को थोड़ा अजीब लगा । लेकिन वह वापस आ गया। उसने उस चोर से फिर पूछा कि वहां से क्या क्या चुराया था ? इस पर चोर ने जो बताया वह हैरान करने वाला था । दो लाख रुपए नकद , तीस चालीस तोला सोना और कुछ चांदी के बिस्कुट चुराए थे । ये कोई छोटी मोटी चोरी तो नहीं थी । फिर महेश सिंह इसे छुपा क्यों रहा है ? 

रात भर वह सोचता रहा लेकिन कोई सिरा हाथ नहीं लगा । दूसरे दिन पुलिस फोर्स के साथ उस चोर को साथ लेकर वह महेश सिंह के घर पहुंच गया। महेश सिंह ने गेट खोलने से ही इंकार कर दिया । जब अविनाश ने उसे जांच में सहयोग नहीं करने पर गिरफ्तार करने की धमकी दी तब उसने गेट खोला । अविनाश ने पूरे घर की तलाशी ली । लेकिन कुछ भी संदिग्ध नजर नहीं आया । अविनाश फिर सोच में पड़ गया। अगर कुछ भी ग़लत नहीं है तो फिर यह इतना घबरा क्यों रहा है ? जरूर कुछ तो बात है जो उसे दिखाई नहीं दे रही थी । 
यह सोचते सोचते वह लॉन में आ गया। अचानक उसकी निगाह लॉन पर पड़ी । आधे लॉन में महेश सिंह ने गोभी की क्यारी लगा रखी थी जिसमें बड़ी बड़ी गोभी आ रहीं थीं । लॉन में गोभी कौन लगाता है भला , यह बात उसके दिमाग में अचानक से कौंधी । उसने महेश सिंह से पूछा "यह गोभी कैसे" ? 
"कैसे क्या ? मैंने लगवाई है । मैं कुछ भी लगवा सकता हूं । मेरा घर है । लॉन लगवाऊ या गोभी , मेरी मर्जी " 
"कब लगवाई" ? 
"यही दो तीन महीने पहले" 

अविनाश सोच में पड़ गया । अचानक उसने सब इंस्पेक्टर को कहा "अरे सुभाष , जरा ये गोभी तो खोद" 

इतने में महेश सिंह चिल्लाने लगा "ये क्या बकवास कर रहे हैं आप ? ऐसे कैसे खोद देंगे गोभी" ? 

सुभाष ने सभी पुलिस वालों को लगा दिया गोभी खोदने में । महेश सिंह ने पूरा ड्रामा कर दिया । अविनाश का शक पक्का होता जा रहा था कि इस गोभी की क्यारी में कोई राज छुपा है । 

लगभग चार फुट गहरी खुदाई करने पर बहुत बदबू आने लगी । सबने अपनी नाक पर रूमाल रख लिया मगर खुदाई जारी रखी । दो तीन फुट और खोदने पर एक लाश गढ़ी हुई मिली । 

महेश सिंह को गिरफ़्तार कर लिया गया और थाने ले जाया गया। लाश को मोर्चरी भिजवा दिया गया जहां उसका पोस्टमार्टम किया गया । 

इधर महेश सिंह की थाने में खूब "खातिरदारी" की गई । इतनी अच्छी खातिरदारी से वह टूट गया और उसने बता दिया का वह लाश अंकुर की थी । 

अविनाश का माथा ठनका । अंकुर का महेश सिंह से क्या संबंध था ? 

महेश सिंह ने विस्तार से सारी बात बताई "अंकुर बहुत बदमाश , अय्याश किस्म का था । उसकी भतीजी अंजलि उसके यहां नौकरी करती थी । अंकुर शादी शुदा था मगर अपनी महिला कर्मचारियों को फंसाकर उनका शोषण करता था । उसने अंजलि को भी फंसा लिया था और कुछ वीडियो भी बना लिए थे । 

जब अंजलि का विवाह हो गया तो भी अंकुर उसका शोषण करने की सोच रहा था । अंजलि ने मना कर दिया तो उसने अंजलि को धमकी दी कि वह सारे वीडियो उसके पति को भेज देगा । 

अंजलि घबरा गई और उसने आत्मसमर्पण कर दिया । अंकुर अब ज्यादती करने लगा था । एक दिन अंजलि ने घर में आत्महत्या करनी चाही लेकिन मेरा भतीजा यानी कि अंजलि का पति समीर ठीक समय पर आ गया और उसे बचा लिया गया। जब उसने आत्महत्या करने का कारण पूछा तो अंजलि ने रो रोकर सारी बात समीर को बता दी । समीर ने उसे ठिकाने लगाने की उसी दिन सोच ली और योजना बनाने लगा । 

अंजलि से मिलकर उसने अंजलि से कहा कि अब यदि अंकुर का फोन आए तो उसे अपने घर बुलवा ले । एक दिन अंकुर का फोन आया तो अंजलि ने कहा दिया कि आज समीर घर नहीं हैं , बाहर गए हैं जो तीन दिन बाद लौटेंगे । इसलिए घर पर ही आ जाए और यहीं रंगरेलियां मनाएंगे । 

अंकुर घर पर आ गया । घर पर समीर था ही । योजना के अनुसार अंजलि ने चाय में नींद की गोली डाल दी । चाय पीकर अंकुर बेहोश हो गया और समीर ने एक जोर का डंडा उसके सिर में मारा तो वह वहीं मर गया। 

अब उसकी लाश को ठिकाने लगाने का काम बड़ा चुनौती पूर्ण था । समीर ने एक फुल प्रूफ प्लान बनाया । अंकुर की लाश बाहर फेंकने से उसका भंडा फूट सकता था इसलिए उसने उसे जमीन में गाड़ने का मानस बनाया । अपने घर पर वह गाड़ना नहीं चाहता था क्योंकि उसे पता था कि सबसे पहले उसी पर शक जाएगा । उसके अलावा नजदीकी रिश्तेदारों के यहां गाड़ना भी कम खतरनाक नहीं था । इसलिए मेरे यहां गाड़ दी गई । 

मैंने इसे छुपाने के लिए वहां पर गोभी की क्यारी लगा दी । बस, हमारा काम हो गया " । 

अविनाश सोच में पड़ गया । अंकुर का मोबाइल दूसरे राज्य में कैसे पहुंचा ? उसने महेश सिंह से पूछा तो उसने बताया "समीर ने 'दृश्यम' मूवी देखी थी जिसमें मोबाइल एक ट्रक में फेंक दिया था और लोकेशन बता रहा था । इस मामले में समीर उस मोबाइल को लेकर रेलवे स्टेशन चला गया और एक रेलगाड़ी के डस्टबिन में डाल आया । हो सकता है कि वह गाड़ी वहीं तक जाती होगी । डस्टबिन से जब कचरा निकाला होगा तो वह मोबाइल भी निकला होगा । वह मोबाइल कचरे के साथ चला गया । और इस तरह आप लोग गुमराह होते रहे " 

अविनाश ने अंजलि, समीर को भी गिरफ्तार कर लिया और सक्षम न्यायालय में चालान पेश कर दिया । 

हरिशंकर गोयल "हरि"
13.5.21 


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4 Comments

Aliya khan

24-Dec-2021 05:50 PM

बेहतरीन

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Hari Shanker Goyal "Hari"

25-Dec-2021 07:48 AM

🙏🙏

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Abhinav ji

23-Dec-2021 11:50 PM

Nice

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Hari Shanker Goyal "Hari"

25-Dec-2021 07:49 AM

🙏🙏

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